Friday 26 March 2010

एक कहानी अम्रिता प्रीतम की जुबानी

एक औरत थी उसने सच्चे मन से मुहोब्बत की थी . एक बार उसके प्रेमी ने उसके बालो में लाल गुलाब का फूल लगा दिया . तब उस औरत ने मुहोब्बत के बडे प्यारे गीत लिखे. लेकिन वह मुहोब्बत परवान ना चढी . तो उस औरत ने अपनी जिंदगी समाज के गळत मूल्यो पर न्योछावर कर दी. एक असह्य पीडा उसके दिल में घर कर गयी और वह सारी उम्र अपनी कलम को उस पीडा में डूबोकर गीत लिखती रही. 'आत्म-वेदना एक वह द्रिष्टी प्रदान करती है, जिसमे कोई परायी पीडा को देख सकता है' . उसने अपनी पीडा में समूची मानवता की पीडा को मिला लिया और फिर ऐसे गीत लिखे जिनमे सिर्फ उसकी नही जगत की पीडा थी. फिर वह औरत मर गयी और उसकी कब्र पर ना जाने किस तऱ्ह तीन गुलाब उग आये. कहते है उस औरत ने जो मुहोब्बत के गीत लिखे वो लाल गुलाब बन गये, जो दर्द भरे गीत लिखे वो काळे गुलाब बन गये और जो मानव प्रेम के गीत लिखे वो सफेद गुलाब बन गये.
.........अम्रिता प्रीतम

Saturday 20 March 2010

प्रेम


प्रेम एक भावनागत विषय है, भावना से ही इसका पोषण होता है, भावना से ही जीवित रहता है और भावना ही से लुप्त हो जाता है ! "तुम मेरे हो " जिस दिन इस विश्वास की जड हिल जाती है, उसी दिन प्रेम खतम हो जाता है !!
.....मुन्शी प्रेम चंद

Sunday 14 March 2010

पुरुष स्वभाव

यदि पुरुष की उपेक्षा करो, सीधे मुह बात ना करो तो वो तुम्हारा सब प्रकार से आदर करेंगे, तुम पर प्राण समर्पण करेंगे, परंतु ज्यू ही ज्ञात हो गया कि अब इसके हृदय में मेरा प्रेम हो गया है उसी दिन से दृष्टी फिर जायेगी, बात बात पर रुठेंगे, रोओगी तो ना मनायेंगे ! मन ही मन प्रसन्न होंगे कि कैसा फंडा डाला है ! हमारे सम्मुख और स्त्रियो कि प्रशंसा करेंगे ! हमे जलाने में आनंद अनुभव करेंगे !!

........मुन्शी प्रेम चंद

Sunday 7 March 2010

स्पर्श की ताकत

औरत अपने प्रति आने वाले प्यार और आकर्षण को समझने में चाहे एक बार भूल कर जायें, लेकिन वह अपने प्रति आने वाली उदासी और उपेक्षा को पहचानने में कभी भूल नही करती. वह होठो पर होठो से स्पर्शो के गूढतम अर्थ समझ सकती है. वह आपके स्पर्श में आपकी नसो से चलती हुई भावना को पहचान सकती है. यदि उसे थोडा सा भी अनुभव है और आप उसके हाथ पर हाथ रखते है तो स्पर्श की अनुभूती से ही जान जायेगी कि आप उस से कोई प्रश्न कर रहे है, कोई याचना कर रहे है, सांत्वना दे रहे है या सांत्वना मांग रहे है. क्षमा मांग रहे है या क्षमा दे रहे है. प्यार का प्रारंभ कर रहे है...या समाप्त कर रहे है. स्वागत कर रहे है या विदा दे रहे है. यह पुलक का स्पर्श है या उदासी का चाव और नशे का स्पर्श है या खिन्नता और बेमनी का...!!
......... धरम वीर भारती