Friday, 16 April 2010

कविता से क्या मिलता है ?

कविता से क्या मिलता है ?
एक काल्पनिक प्रशंसनीय जीवन
जो दूसरो की दया पर अपना अस्तित्व रखता है ...!

........जय शंकर प्रसाद (नाटक स्कंदगुप्त )

12 comments:

  1. bahut sahi kaha sir...
    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  2. बिलकुल सही कहा आपने.....


    Regards.....

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  3. अच्छी नहीं लगी पर सची बात......

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  4. बिलकुल ठीक ही है हमारे जीवन की तरह ...

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  5. कवितायेँ कल्पना ही तो होती हैं ...
    मगर कल्पनाएँ इतनी अवास्तविक भी नहीं होती ...
    कही किसी की कोई सच्चाई तो जुडी होती ही होगी ...!!

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  6. प्रसाद जी के संवाद पर टिप्पणी ? यह उनकी आपबीती है । आपने जीवन्त कर दिया - आत्मबोध रचनाकारों का ।

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  7. अरुणेश मिश्र जी से सहमत ..

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  8. हर इंसान की सोच एक जैसी नहीं होती!

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  9. sahmt nahi hun lakho dilon me jo cha jate hain unka kya ??????????????????????????????????????????????????

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  10. कविता से कविता लिखने वाले को क्या मिलता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है।

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