सोने की पहचान आग से होती है और व्यक्तित्व की पहचान भी तभी होगी जब वो काठीनाईयो से, वेदनाओ से, संघर्षो से खेळे और बाद में विजयी हो . तभी पता चलता है व्यक्तित्व में कितना प्रकाश और बळ है
धरम वीर भारती
Tuesday, 6 April 2010
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सही है
ReplyDeleteपहचानने वाले मिले तभी
आपकी बात का सार मुझे लगता है।
ReplyDeleteअर्जुन और एकलव्य।
sahi he
ReplyDeleteinsan ki pahchan bhi duniya kitapis ki aag se hoto he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
व्यक्तित्व की पहचान ठीक इसी तरह होती है। सही लिखा है आपने।
ReplyDeleteभारती जी को इस तरह से याद करना अच्छा लगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteअच्छा लगा भारती जी के वाक्यांश सुनकर!
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