सोलवां बरस इश्वर की साजिश की तरह होता है जो जिंदगी के हर वर्ष में कहीं ना कहीं शामिल होता है. यह बचपन की समाधि तोड़ देता है. और जब कोई समाधि टूटती है तो भटकनें का श्राप उसके पीछे पड़ जाता है...हमारे पीछे भी एक सोचों का शाप पीछे पड़ा है. उम्र के सोलवें साल में हर विश्वास पारंपरिक होता है और इसलिए दकियानूसी भी. वास्तव में यह वर्ष आयु की सड़क पर लगा हुआ खतरे का चिन्ह होता है (की बीते वर्षों की सपाट सड़क खतम हो गयी है, आगे ऊँची - नीची और भयानक मोडों वाली सड़क शुरू होने वाली है ). इस वर्ष जाना-पहचाना सब कुछ शरीर के वस्त्रों की तरह तंग हो जाता है . होंठ जिंदिगी की प्यास से खुश्क हो जाते हैं, आकाश के तारे जिन्हें सप्त-ऋषियों के आकार में देख कर दूर से प्रणाम करना होता था, पास जा कर छू लेने को जी करता है. इर्द - गिर्द और दूर पास की हवा में इतनी मनाहियाँ और इतने इनकार होते हैं, इतना विरोध की सांसो में आग सुलग उठती है.
अमृता प्रीतम
Saturday, 13 November 2010
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बहुत अच्छा चयन किया है अमृता जी की लिखी पंक्तियों का ...
ReplyDelete16 का हिसाब मेरे पल्ले नहीं पड़ता। बॉलीवुड के लोग ज्यादा मैच्योर मालूम पड़ते हैं जिन्होंने आगे की भी चर्चा की। मसलन,जानी दुश्मन के एक गीत की पंक्ति हैःसाल सतरह संभाला इसे मैंने रे ऐसे कैसे तुझे सौंप दूं....। फिल्म सुहाग के एक गीत का आगाज़ देखिएःअटरह बरस की तू होने को आई रे...........
ReplyDeleteबहुत प्यारा प्रसंग चुना है आपने उद्धृत करने के लिये ! जीवन भर इंसान सोलहवें बरस के तिलस्म से मुक्त नहीं हो पाता ना ही उसे सुलझा पाता है !
ReplyDeleteमन तो कर रहा है फिर से १६ बरस की बाली उमर को सलाम करूं। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। आपके चयन की दाद देनी होगी। ये पढकर तो कह सकते हैं कि ये मन में उठी सच्ची भावनाओं का चित्र है। बहुत अच्छा चयन किया है .....
ReplyDeleteहमने स्वीट सिक्सटीज की बात की तो तुमने अमृता जी का संदेश सुना दिया स्वीट सिक्सटीन के बारे में। बढिया कार्य।
ReplyDeleteवह समय स्वप्नों में बहने का समय होता है।
ReplyDeleteअमृतिआ की लिखी एक एक पँक्ति मे जीवन के अनुभव और संवेदनायें होती हैं। बहुत अच्छी लगी पोस्ट। धन्यवाद।
ReplyDeleteअनामिका जी, इस प्रसंग को पढकर आनंद आ गया। शुक्रिया।
ReplyDelete---------
ग्राम, पौंड, औंस का झमेला। <
विश्व की दो तिहाई जनता मांसाहार को अभिशप्त है।
16 varsh ka gahan varnan... wakai, yah umra khaas hai
ReplyDeleteवह समय स्वप्नों में बहने का समय होता है।
ReplyDeleteअमृता प्रीतम तो अमृता प्रीतम हैं !
ReplyDeleteअनामिका जी,बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
bAHUT UTTAM PRASANGIK LEKHNI...MAZA AA GAYA
ReplyDeleteanamika ji
ReplyDeletebahut hi behatreen prastuti .
yahi umra aisi hi to hoti hai jo sab pe aati haikuchh swapn dikakhati hai ,armaan jagaati hai tabhi to kahte hai ki ye umra sabse khaas hoti hai.
bahut abhut badhiya post
baht badhai
poonam
behtreen .
ReplyDeleteveerubhai .
कहाँ हैं आप ....??
ReplyDeleteकभी कभी कुछ ऐसी चीजें पढने को मिल जाती हैं, जो वाकई मन में अपनी जगह बना लेती है। ये वैसा ही कुछ है।
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