बाल -दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल !
जगह जगह पर मची हुई खुशियों की रेलमपेल !
बरस गाँठ चाचा नेहरु की फिर आई है आज,
उन जैसे नेता पर सारे भारत को है नाज !
वह दिल से भोले थे इतने, जितने हम नादान,
बूढ़े होने पर भी मन से वे थे सदा जवान !
हम उनसे सीखें मुस्काना, सारे संकट झेल !
हम सब मिलकर क्यों न रचायें ऐसा सुख संसार,
भाई-भाई जहाँ सभी हों, रहे छलकता प्यार !
नहीं घृणा हो किसी ह्रदय में, नहीं द्वेष का वास,
आँखों में आंसू न कहीं हों, हो अधरों पर हास !
झगड़े नहीं परस्पर कोई, हो आपस में मेल !
पड़े जरूरत अगर, पहन लें हम वीरों का वेश,
प्राणों से भी बढ़कर प्यारा हमको रहे स्वदेश !
मातृभूमि की आजादी-हित हो जाएँ बलिदान,
मिटटी में मिलकर भी माँ की रक्खें ऊँची शान !
दुश्मन के दिल को दहला दें, डालें नाक-नकेल !
बाल -दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल !
मनोहर प्रभाकर
बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteघृणा,द्वेष,आंसू,झगडे आदि शब्दों से बच्चों को परिचित ही क्यों कराया जाए? ये भाव उनके भीतर बुनियादी रूप से होते ही नहीं हैं,यह तो बाद की गलत प्रोग्रामिंग का नतीज़ा होता है।
ReplyDeleteनहीं घृणा हो किसी ह्रदय में, नहीं द्वेष का वास,
ReplyDeleteआँखों में आंसू न कहीं हों, हो अधरों पर हास !
बाल दिवस पर इससे अच्छा संदेश और क्या हो सकता है!
bachhon ko unkaa bachpan lautaa do
ReplyDeleteunhein bachpan ko jeene do
sundar,waise bhee manohar prabhaakar jee kee rachnaayein dil ko chhootee rahee hein
बच्चों को ही नहीं बड़ों को भी सार्थक संदेश देती एवं सकारात्मक वातावरण का सृजन करती बहुत खूबसूरत रचना ! बच्चों के मन में कटुता और वैमनस्य के बीज इंसान बोते हैं ! उनके मन को मैला इंसान करते हैं ईश्वर तो उन्हें बहुत पाक साफ निर्मल बना कर धरती पर भेजता है ! हम ही उन्हें सहेज नहीं पाते ! बालदिवस की अशेष शुभकामनायें स्वीकार करें !
ReplyDeleteहम सब मिलकर क्यों न रचायें ऐसा सुख संसार,
ReplyDeleteभाई-भाई जहाँ सभी हों, रहे छलकता प्यार !
नहीं घृणा हो किसी ह्रदय में, नहीं द्वेष का वास,
आँखों में आंसू न कहीं हों, हो अधरों पर हास !
झगड़े नहीं परस्पर कोई, हो आपस में मेल !chahiye to yahi
बहुत सुंदर रचना ...
ReplyDeleteशुभकामनायें आपको !
बहुत प्रेरणामय कविता लाई हैं .आप ने यह ध्यान दिला दिया कि हमें बच्चों के लिये भी लिखना चाहिये.
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती सकारात्मकता से ओतप्रोत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteपड़े जरूरत अगर, पहन लें हम वीरों का वेश,
ReplyDeleteप्राणों से भी बढ़कर प्यारा हमको रहे स्वदेश !
मातृभूमि की आजादी-हित हो जाएँ बलिदान,
मिटटी में मिलकर भी माँ की रक्खें ऊँची शान !
Bahut joshpoorn alfaaz.....bahut prerak aur utnehee pyare!
बाल दिवस पर सुंदर संदेश देती भाव जगाती कविता...
ReplyDeleteपड़े जरूरत अगर, पहन लें हम वीरों का वेश,
ReplyDeleteप्राणों से भी बढ़कर प्यारा हमको रहे स्वदेश !
मातृभूमि की आजादी-हित हो जाएँ बलिदान,
मिटटी में मिलकर भी माँ की रक्खें ऊँची शान !
दुश्मन के दिल को दहला दें, डालें नाक-नकेल !
बाल -दिवस है आज साथियो, आओ खेलें खेल
sundar prastuti.