Tuesday 2 February 2010

स्त्री सुलभ व्यक्तित्व

जब स्त्री को जीवन की असाधारण कठीनाईयो का सामना करना पडता हैं तो उसके स्त्री सुलभ व्यक्तित्व और चरित्र पर एक प्रकार की कठोरता अंकित हो जाती हैं और उसका भाग्य कुंठित हो जाता हैं, क्युकी यदि वह भावुक और सुकोमल बनी रही तो उसका अंत हो जायेगा और यदि जीवित रही तो उसके अंतस की सुकोमलता सर्वथा नष्ट हो जायेगी. और बाह्य आकृती में परिवर्तन ना होने पर भी उसका हृदय इतना टूट जायेगा की वह हृदय के भाव को कभी व्यक्त नही कर पायेगी.

3 comments:

  1. जब स्त्री को जीवन की असाधारण कठीनाईयो का सामना करना पडता हैं तो उसके स्त्री सुलभ व्यक्तित्व और चरित्र पर एक प्रकार की कठोरता अंकित हो जाती हैं
    बिलकुल सही बात कही है औरत के लिये क्या किसी भी प्राणी के लिये मुश्किलों से गुजर कर संवेदनाओं को संजोये रखना कठिन काम है मगर औरत की ये कोमलता स्त्रि सुलभ व्यक्तित्व को बचाये रखना जरूरी है वो बच्चों के भविश्य की मिर्मात्री और सहभागी है उन्हें संस्कारित बनाने की जिम्मेदारी उस पर है। बहुत अच्छी लगी पोस्ट शुभकामनायें

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  2. INDU PURI JI SAID......

    'stree sulabh vyaktitva'
    kaun kahta hai ? bhav abhivyakt karne me striyan kahin peechhe nhi .kasht ko kuntha kyon bnane diya jaye,logo ki sahanubhuti paane ke liye?galat,ekdm galat,IStree smaj aur pariwar ki dhuri hai,taqat hai wo iyni kamjor nhi.bs khud ki taqat ko hi pahchan nhi pati.jane kyon bechari bnana psnd krti ahi?uski samvedan sheelta ,sukomalta,bhavukata uski kamjori nhi uski taat aur asli khoobsurati hai.,madam!

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  3. निर्मला जी ने एकदम सही लिखा है....स्त्री की कोमलता खत्म हो गई तो आने वाली नस्लें सिर्फ और सिर्फ जानवर ही बनेंगी..स्त्री की सुकोमलता ही संसार का मूल है..वरना हम मर्दों ने अधिकतर सिर्फ खून की नदियां बहायी हैं....वो भी कई बार स्त्री के बहाने

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