एक औरत थी उसने सच्चे मन से मुहोब्बत की थी . एक बार उसके प्रेमी ने उसके बालो में लाल गुलाब का फूल लगा दिया . तब उस औरत ने मुहोब्बत के बडे प्यारे गीत लिखे. लेकिन वह मुहोब्बत परवान ना चढी . तो उस औरत ने अपनी जिंदगी समाज के गळत मूल्यो पर न्योछावर कर दी. एक असह्य पीडा उसके दिल में घर कर गयी और वह सारी उम्र अपनी कलम को उस पीडा में डूबोकर गीत लिखती रही. 'आत्म-वेदना एक वह द्रिष्टी प्रदान करती है, जिसमे कोई परायी पीडा को देख सकता है' . उसने अपनी पीडा में समूची मानवता की पीडा को मिला लिया और फिर ऐसे गीत लिखे जिनमे सिर्फ उसकी नही जगत की पीडा थी. फिर वह औरत मर गयी और उसकी कब्र पर ना जाने किस तऱ्ह तीन गुलाब उग आये. कहते है उस औरत ने जो मुहोब्बत के गीत लिखे वो लाल गुलाब बन गये, जो दर्द भरे गीत लिखे वो काळे गुलाब बन गये और जो मानव प्रेम के गीत लिखे वो सफेद गुलाब बन गये.
.........अम्रिता प्रीतम
Friday, 26 March 2010
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सुंदर ..........
ReplyDeleteसभी के दर्द को अपनाने वाली ऐसी औरत को कोई कब्र में अकेला नही छोड़ना चाहते थे..तभी तो फूल उग आए..बढ़िया प्रस्तुति..बधाई
ReplyDeleteआभार इसे प्रस्तुत करने का.
ReplyDeleteवाह ...अमृता के खिलाये शब्दों के फूलों के अलग अलग रंग से मिलवाने के लिए आभार ...!!
ReplyDeleteबढ़िया संकलन
ReplyDeleteDIL KO CHHUTI RACHNA....
ReplyDeleteKUNWAR JI,
bahut achha sankalan
ReplyDeleteआभार इसे प्रस्तुत करने का.
ReplyDeleteshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
आभार इसे प्रस्तुत करने का.
ReplyDeleteshekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
nitaant alag hat kar aap kaam kar rahi hain.aone dhang ka mahatvypurn blog!
ReplyDeletebahut badiya ise tarah likte rahen
ReplyDeletehttp://limtykhare.blogspot.com
और उसकी कब्र पर ना जाने किस तऱ्ह तीन गुलाब उग आये. कहते है उस औरत ने जो मुहोब्बत के गीत लिखे वो लाल गुलाब बन गये, जो दर्द भरे गीत लिखे वो काळे गुलाब बन गये और जो मानव प्रेम के गीत लिखे वो सफेद गुलाब बन गये.
ReplyDeletebahut achchhi lagi post ,amrita ji ki baat kuchh alag hi hai ,unki kalam ko salaam .