......... धरम वीर भारती
Sunday, 7 March 2010
स्पर्श की ताकत
औरत अपने प्रति आने वाले प्यार और आकर्षण को समझने में चाहे एक बार भूल कर जायें, लेकिन वह अपने प्रति आने वाली उदासी और उपेक्षा को पहचानने में कभी भूल नही करती. वह होठो पर होठो से स्पर्शो के गूढतम अर्थ समझ सकती है. वह आपके स्पर्श में आपकी नसो से चलती हुई भावना को पहचान सकती है. यदि उसे थोडा सा भी अनुभव है और आप उसके हाथ पर हाथ रखते है तो स्पर्श की अनुभूती से ही जान जायेगी कि आप उस से कोई प्रश्न कर रहे है, कोई याचना कर रहे है, सांत्वना दे रहे है या सांत्वना मांग रहे है. क्षमा मांग रहे है या क्षमा दे रहे है. प्यार का प्रारंभ कर रहे है...या समाप्त कर रहे है. स्वागत कर रहे है या विदा दे रहे है. यह पुलक का स्पर्श है या उदासी का चाव और नशे का स्पर्श है या खिन्नता और बेमनी का...!!
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perfectly said...
ReplyDeletesparsh ke baare mein bahut sahi kaha hai dharmveer bharti ji ne
ReplyDeletepatni se poochha , uttar sakaratmak tha.
ReplyDeleteपढ़ने में बढ़िया लगा , लेकिन अफसोस मैं अभी तक अनुभव नहीं कर पाया इसे ।
ReplyDeleteब्लॉग जगत में आपका स्वागत है.
ReplyDeleteअनेक शुभकामनाऎं ।
सटीक बात....अच्छा संग्रहण
ReplyDeletebahut sahi aaurat man ka pardafash kar diya ,aur tasvir bhi laga li ,2 tasvire ek saath saamne aa gayi ,laazwaab .raaj ko raaj rahne dete ,waise jaankar bhi kaun samjhega yahan .achchha laga .
ReplyDeleteइस शुरुआत पर तमाम शुभकामनाएं.
ReplyDeleteजारी रहें.
[उल्टा तीर]
dharamveer ji ne achhee jaankaari di hai
ReplyDeletepoora manovigyaan saamne laa diyaa
aapka abhaar .
सटीक बात..
ReplyDeleteइस नए चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
ReplyDeleteits to the point
ReplyDeleteऔरत अपने प्रति आने वाले प्यार और आकर्षण को समझने में चाहे एक बार भूल कर जायें, लेकिन वह अपने प्रति आने वाली उदासी और उपेक्षा को पहचानने में कभी भूल नही करती
ReplyDelete.... ये ठीक ही है
पुरुष चाहे जितना होशियार हो पर इस मामले में बुद्धू होता है
छल करने में पारंगत नहीं होता... स्त्रियों की सफलता का राज़ शायद यही है
बधाई .........
बहुत अच्छा लगा पढ़कर!
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