Wednesday 28 April 2010

मानव हृदय

मानव हृदय एक रहस्यमय वस्तु है. कभी तो वह लाखो की ओर आंख उठा कर नही देखता और कभी कौडियो पर फिसल जाता है. कभी सैकडो निर्दोशो की हत्या पर आह तक नही करता और कभी एक बच्चे को देख कर ही रो पडता है. ....अम्रिता प्रीतम

22 comments:

  1. मानव हृदय एक रहस्यमय वस्तु है.

    aaj pata chal gaya...
    behhad khubsurat bhav

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  2. अमृता जी की कही बात १०० प्रतिशत सच....ऐसा ही होता है मानव हृदय

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  3. हाँ ऐसा ही है मानव ह्रदय

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  4. सत्य वचन..अमृता जी के

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  5. बहुत खूबसूरत ..यही तो मानव मन है...

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  6. sach kaha kabhi kabhi ek choti si cheez hi kitne sukoon deti hai aur kabhi kabhi saare khajane feeke lagte hain...

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  7. अच्छी गहन, मनन, चिंतन से उपजी विवेचना की प्रस्तुती के लिए धन्यवाद / अच्छा सोचना अच्छी बात है /

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  8. सटीक मूल्यांकन

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  9. बहुत ही प्रभावित करने वाली पंक्तियां

    कौडियो ....कौडियों
    सैकडो......सैकडों,
    निर्दोशो.....निर्दोषों

    इसे सुधार लें तो और भी बेहतर ...। आभार

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  10. झा जी बहुत बहुत धन्यवाद इस पोस्ट पर अपनी प्रस्तुति देने के लिए और गल्तिया बताने के लिए. लेकिन मेरा कंप्यूटर कई हिंदी के शब्दों का शुद्ध संशोधन नहीं करता. इसलिए मेरी रचनाओ में अधिकतर ये गल्तिया पाई जाती है.
    एक बार फिर से शुक्रिया.

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  11. सुन्दर विचार !

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  12. बहुत ही रहस्‍यमय !!

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  13. अमृता जी की कही बात १०० प्रतिशत सच....ऐसा ही होता है मानव हृदय

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  14. बहुत अच्छे पद का चयन

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  15. ye dil na hota bechaara....

    Saare museebat ki jad !

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  16. आप के ख़्याल बहुत ख़ूबसूरत हैं,
    इन्हें ब्लॉग-जगत में अकेले मत छोड़िएगा-
    मैले हो जाएँगे।
    :)
    इसी तरह से कुछ कहा जाए तो बात बने, इससे कम तारीफ़ में चलेगा नहीं।

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  17. har insan kee tasheer alag hotee hai, jis insan kee tasheer prakratik ho vahee dard kee anubhutee samajh sakta hai. achcha vichar. insan ko insan bane rahne kee seekh deta hua.

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  18. u absolutely rite sir .....only depend on our feeling

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  19. u absolutely rite sir .....only depend on our feeling

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