Saturday 13 August 2011

'अग्निपथ'

साथियो नमस्कार !

बहुत दिनों बाद इस ब्लॉग को फिर से शुरू करने की कोशिश जारी है......अब  से मैं भिन्न भिन्न कवियों के कुछ चुने हुए गीत समय समय पर प्रस्तुत करुँगी...आशा है आप अपना सानिध्य बनाये रखेंगे....

तो चलिए सबसे पहले आज प्रस्तुत है हरिवंशराय 'बच्चन' जी की कविता....'अग्निपथ'

Harivansh Rai Bachchan


'अग्निपथ'

अग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ ! 
       वृक्ष हों भले खड़े 
       हों घने हों बड़े 
       एक पत्र छाहं भी 
मांग मत ! मांग मत ! मांग मत !

       तू न थकेगा कभी
       तू न थमेगा कभी
       तू न मुड़ेगा कभी
कर शपथ ! कर शपथ ! कर शपथ !

       यह महान दृश्य है
       चल रहा मनुष्य है
       अश्रु - स्वेद- रक्त से 
लथ - पथ ! लथ - पथ ! लथ - पथ !
अग्निपथ ! अग्निपथ ! अग्निपथ ! 

15 comments:

  1. मेरी फ़ेवरिट कविता पोस्ट करने के लिए आभार!

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  2. पसंदीदा कविता पढ़वाने का आभार.....

    स्वागत है पुनर्शुरुवात पर!!

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  3. मानव को मुसीबत में भी रास्ता चलाना सिखाता यह गीत कालजयी है ! सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार !

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  4. बहुत अच्छी प्रस्तुति है!
    रक्षाबन्धन के पुनीत पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएँ!

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  5. प्यारी रचना है बहुत ... कविता पढ़वाने का आभार ...

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  6. इतने कम शब्द कितना गहरा प्रभाव छोड़ते हैं।

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  7. kaljayi rachnaon ko padhna ek alag hi anand deta hai. krupya is shuruaat ko band na karen.

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  8. प्रभावपूर्ण रचना....

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  9. Zabardast,kaljayi rachana hai ye!

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  10. अच्छी कविता शेयर करने के लिए बहुत आभार!

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  11. शेयर करने के लिए बहुत आभार!

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  12. BHAUT ACHI MAN KO EK NAHI ASHA DETI HAI . KI YE JEEVAN KI RAHA KISI AGNI KE SAMAN HAI LAKIN CHALNA TERA KAAM HAI ESLIYE TU CHALTA JAYEGA TO EK DEEN APNI MNANJIL KO PA JAYEGA

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  13. BHAUT ACHI MAN KO EK NAHI ASHA DETI HAI . KI YE JEEVAN KI RAHA KISI AGNI KE SAMAN HAI LAKIN CHALNA TERA KAAM HAI ESLIYE TU CHALTA JAYEGA TO EK DEEN APNI MNANJIL KO PA JAYEGA

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  14. bhaut achi kavita hai ye ,, man ko ek shanti milti hai .......

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