Friday 26 March 2010

एक कहानी अम्रिता प्रीतम की जुबानी

एक औरत थी उसने सच्चे मन से मुहोब्बत की थी . एक बार उसके प्रेमी ने उसके बालो में लाल गुलाब का फूल लगा दिया . तब उस औरत ने मुहोब्बत के बडे प्यारे गीत लिखे. लेकिन वह मुहोब्बत परवान ना चढी . तो उस औरत ने अपनी जिंदगी समाज के गळत मूल्यो पर न्योछावर कर दी. एक असह्य पीडा उसके दिल में घर कर गयी और वह सारी उम्र अपनी कलम को उस पीडा में डूबोकर गीत लिखती रही. 'आत्म-वेदना एक वह द्रिष्टी प्रदान करती है, जिसमे कोई परायी पीडा को देख सकता है' . उसने अपनी पीडा में समूची मानवता की पीडा को मिला लिया और फिर ऐसे गीत लिखे जिनमे सिर्फ उसकी नही जगत की पीडा थी. फिर वह औरत मर गयी और उसकी कब्र पर ना जाने किस तऱ्ह तीन गुलाब उग आये. कहते है उस औरत ने जो मुहोब्बत के गीत लिखे वो लाल गुलाब बन गये, जो दर्द भरे गीत लिखे वो काळे गुलाब बन गये और जो मानव प्रेम के गीत लिखे वो सफेद गुलाब बन गये.
.........अम्रिता प्रीतम

12 comments:

  1. सुंदर ..........

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  2. सभी के दर्द को अपनाने वाली ऐसी औरत को कोई कब्र में अकेला नही छोड़ना चाहते थे..तभी तो फूल उग आए..बढ़िया प्रस्तुति..बधाई

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  3. आभार इसे प्रस्तुत करने का.

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  4. वाह ...अमृता के खिलाये शब्दों के फूलों के अलग अलग रंग से मिलवाने के लिए आभार ...!!

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  5. DIL KO CHHUTI RACHNA....
    KUNWAR JI,

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  6. आभार इसे प्रस्तुत करने का.

    shekhar kumawat
    http://kavyawani.blogspot.com/

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  7. आभार इसे प्रस्तुत करने का.

    shekhar kumawat
    http://kavyawani.blogspot.com/

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  8. nitaant alag hat kar aap kaam kar rahi hain.aone dhang ka mahatvypurn blog!

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  9. bahut badiya ise tarah likte rahen

    http://limtykhare.blogspot.com

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  10. और उसकी कब्र पर ना जाने किस तऱ्ह तीन गुलाब उग आये. कहते है उस औरत ने जो मुहोब्बत के गीत लिखे वो लाल गुलाब बन गये, जो दर्द भरे गीत लिखे वो काळे गुलाब बन गये और जो मानव प्रेम के गीत लिखे वो सफेद गुलाब बन गये.
    bahut achchhi lagi post ,amrita ji ki baat kuchh alag hi hai ,unki kalam ko salaam .

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