वतन की आबरू खतरे में है, होशियार हो जाओ,
हमारे इम्तहां का वक्त है, तैयार हो जाओ !
हमारी सरहदों पर खून बहता है, जवानों का,
हुआ जाता है दिल छलनी हिमालय की चट्टानों का !
उठो रुख फेर दो दुश्मन की तोपों के दहानों का,
वतन की सरहदों पर आहिनी दीवार हो जाओ !
वह जिनको सादगी में हमने आँखों पर बिठाया था,
वह जिनको भाई कहकर हमने सीने से लगाया था !
वह जिनकी गर्दनों में हार बाहों का पहनाया था,
अब उनकी गर्दनों के वास्ते तलवार हो जाओ !
न हम इस वक्त हिन्दू हैं, न मुस्लिम हैं, न ईसाई,
अगर कुछ हैं तो हैं इस देश, इस धरती के शैदाई !
इसीको जिन्दगी देंगे, इसी से जिन्दगी पायी,
लहू के रंग से लिखा हुआ इकरार हो जाओ !
खबर रखना, कोई गद्दार साज़िश कर नहीं पाए,
नज़र रखना, कोई जालिम तिजोरी भर नहीं पाए,
हमारी कौम पर तारीख तोहमत धर नहीं पाए,
वतन-दुश्मन-दरिंदों के लिए ललकार हो जाओ !
साहिर लुधियानवी