Wednesday 28 April 2010

मानव हृदय

मानव हृदय एक रहस्यमय वस्तु है. कभी तो वह लाखो की ओर आंख उठा कर नही देखता और कभी कौडियो पर फिसल जाता है. कभी सैकडो निर्दोशो की हत्या पर आह तक नही करता और कभी एक बच्चे को देख कर ही रो पडता है. ....अम्रिता प्रीतम

Monday 19 April 2010

प्यार का अंत

जनम लेने के बाद मरना पडता है जैसे आकाश में उछाला पत्थर भी जमीन पर गिरता ही है . खून कर के फांसी होती है और चोरी करने पर जेल जाना पडता है , उसी प्रकार प्यार करने पर रोना पडता है. सुना है कि प्यार करने वाले की अंत में दर्द से पीडित होकर छाती फटती है ! ....अम्रिता प्रीतम

Friday 16 April 2010

कविता से क्या मिलता है ?

कविता से क्या मिलता है ?
एक काल्पनिक प्रशंसनीय जीवन
जो दूसरो की दया पर अपना अस्तित्व रखता है ...!

........जय शंकर प्रसाद (नाटक स्कंदगुप्त )

Saturday 10 April 2010

नारी मन ...

कभी कभी नारी को जिस चीज के प्रती जितना आकर्षण होता है नारी उस से उतनी ही दूर भागती है. अगर कोई ,प्याला मुह से ना लगा कर दूर फैंक दे तो समझ लो वो बेहद प्यासा है. इतना प्यासा कि तृप्ती की कल्पना से भी घबराता है .
धरम वीर भारती

Tuesday 6 April 2010

व्यक्तित्व की पहचान

सोने की पहचान आग से होती है और व्यक्तित्व की पहचान भी तभी होगी जब वो काठीनाईयो से, वेदनाओ से, संघर्षो से खेळे और बाद में विजयी हो . तभी पता चलता है व्यक्तित्व में कितना प्रकाश और बळ है
धरम वीर भारती