बहुत नमन कर चुके गगन को, भू को करो प्रणाम !
भाइयो, भू को करो प्रणाम !
नभ में बैठे हुए देवता पूजा ही लेते हैं,
बदले में निष्क्रिय मानव को भाग्यवाद देते हैं !
निर्भर करना छोड़ नियति पर,श्रम को करो सलाम!
साथियो, भू को करो प्रणाम !
देवालय यह भूमि कि जिसका कण-कण चन्दन सा है,
शस्य-श्यामला वसुधा, जिसका पग-पग नंदन सा है !
श्रम-सीकर बरसाओ इस पर, देगी सुफल ललाम ,
बंधुओ, देगी सुफल ललाम !
जोतो, बोलो, सींचो, मेहनत करके इसे निराओ ,
ईति, भीती, दैवी विपदा , रोगों से इसे बचाओ !
अन्य देवता छोड़ धरा को ही पूजो निशि-याम,
किसानो, पूजो आठों याम !
जगदीश बाजपेयी