प्यार जैसी निर्मम वस्तू
क्या भय से
बांधकर रखी जा सकती है ...?
नहीं....!!
वह तो चाहता है..
पूरा विश्वास..
पूरी स्वाधीनता ..
और साथ में पूरी जिम्मेदारी..!
इसमें फैलने की असीमता है..
जिस पर
बंधन रूपी ईटो की दिवार
नहीं बन सकती..!!
हमारे जाने - माने मश-हूर लेखको के लेखन से एकत्र की कुछ अभिव्यक्तिया जो मैं यहाँ समय समय पर लिखने की कोशिश कर्रूँगी. प्रार्थना है कि सभी पढने वाले इन्हें पढ़ कर अपनी टिप्पणियों द्वारा अपना योगदान दे अनुग्रहीत करे ...
सच कहा ........ प्यार को बाँध कर नही रखा जा सकता ........ वो तो धारा है जो चलती रहती है ...........
ReplyDeleteसच कहा.....प्यार वही है जैसा आपने बताया। अच्छी रचना।
ReplyDeleteJise bandha ja ske vo pyar hi kaha..
ReplyDeleteanamika ji..ek aur siksar....
badhiya likha ha..
इसमें फैलने की असीमता है..
ReplyDeleteजिस पर
बंधन रूपी ईटो की दीवार
नहीं बन सकती..!!
बिलकुल सही कहा .....इसे नि:सीम ही फ़ैलाने देना चाहिए .
सुन्दर रचना...
badhiya likha hai..
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