देवताओ का नाच देखना है तो - देखो वृक्ष कि पत्तियो पर निर्मल चन्द्र की किरनो का नाच, तालाब मे कमल के फूल पर पानी की बूँदो का नाच, जंगल मे देखो मोर कैसे पंख फैला नाचता है !
पिशाचो का नाच देखना है तो - देखो दरिद्र पडोसी ज़मिदार के जूते खा कर कैसा नाचता है ! अनाथ बालक क्षुधा से बावले हो कैसे नाचते है ! घरो मे विधवा की आँखो मे वेदना और आसुओ का नाच, मन मे कपट और छल का नाच ! सारा संसार न्रित्यशाला है !! ...... मुंशी प्रेम चंद
Sunday, 1 November 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment