मैं उनके गीत गाता हूँ, मैं उनके गीत गाता हूँ !
जो शाने पर बगावत का अलम लेकर निकलते हैं,
किसी जालिम हुकूमत के धड़कते दिल पे चलते हैं,
मैं उनके गीत गाता हूँ, मैं उनके गीत गाता हूँ !
जो रख देते हैं सीना गर्म तोपों के दहानों पर,
नज़र से जिनकी बिजली कौंधती है आसमानों पर,
मैं उनके गीत गाता हूँ, मैं उनके गीत गाता हूँ !
जो आज़ादी की देवी को लहू की भेंट देते हैं,
सदाकत* के लिए जो हाथ में तलवार लेते हैं,
मैं उनके गीत गाता हूँ, मैं उनके गीत गाता हूँ !
जो परदे चाक करते हैं हुकूमत की सियासत के,
जो दुश्मन हैं कदामत** के,जो हामी हैं बगावत के,
मैं उनके गीत गाता हूँ, मैं उनके गीत गाता हूँ !
कुचल सकते हैं जो मजदूर जर के आस्तानों को,
जो जलकर आग दे देते हैं जंगी कारखानों को,
मैं उनके गीत गाता हूँ, मैं उनके गीत गाता हूँ !
झुलस सकते हैं जो शोलों से, कुफ्रों-दीं की बस्ती को,
जो लानत जानते हैं मुल्क में, फिरका-परस्ती को,
मैं उनके गीत गाता हूँ, मैं उनके गीत गाता हूँ !
वतन के नौजवानों में नए जज्बे जगाऊंगा,
मैं उनके गीत गाऊंगा, मैं उनके गीत गाऊंगा,
मैं उनके गीत गाऊंगा, मैं उनके गीत गाऊंगा !
* सत्य ** प्राचीनता
जांनिसार अख्तर
गीत उन्हीं के गाये जायें..
ReplyDeleteदेशभक्ति के भावों से, यह भरी हुई रचना सुन्दर,
ReplyDeleteदेशभक्ति के भाव जगे,इस सुन्दर रचना को पढ़कर।
ऐसे रचनाकारों मैं, ये शत शत शीश नवाता हूँ।
मैं उनके गीत गाता हूँ, मैं उनके गीत गाता हूँ।।
बहुत सुंदर ! देशभक्ति से ओतप्रोत गीत!
ReplyDeleteहां,जिनका जीवन स्वयं कविता है,गीत उनके ही गाए जाने चाहिए।
ReplyDeleteवतन के नौजवानों में नए जज्बे जगाऊंगा,
ReplyDeleteमैं उनके गीत गाऊंगा, मैं उनके गीत गाऊंगा,
मैं उनके गीत गाऊंगा, मैं उनके गीत गाऊंगा !
बहुत खूब .
वतन के नौजवानों में नए जज्बे जगाऊंगा,
ReplyDeleteमैं उनके गीत गाऊंगा, मैं उनके गीत गाऊंगा,बहुत खूब