Monday 16 January 2012

मैं सैनिक बन जाऊँगा !

 




                                   मैं सैनिक बन जाऊँगा !

सेनानी  वर्दी  पहनूंगा,  बूट  करेंगे  ठक-ठक-ठक !
कंधे  से  बन्दूक  लगेगी,  मुन्नी  देखेगी इक टक !
                                   मैं सैनिक बन जाऊँगा !

चुन्नू-मुन्नू  तुम  भी  आओ,  सेना  एक  सजायेंगे !
हिंद  देश  के  प्रहरी  हैं हम, सीमा  पर डट  जायेंगे !
तुम रिपु-दल की थाह लगाना, मैं बन्दूक चलाऊंगा !
                                     मैं सैनिक बन जाऊँगा !

मुन्नी हमको तिलक करो तुम, आज जा रहे हम रण में !
दुश्मन  को  पीछे  पटका  दें,  यही  लालसा  है  मन  में !
तन-मन  का  मैं  अर्ध्य चढ़ा कर, माँ का मान बढ़ाऊंगा !
                                           मैं सैनिक बन जाऊँगा !


हिम-मंडित यह शुभ्र हिमालय, ऊँचा भाल हमारा है !
नींच शत्रु ने मलिन आँख से, इसको आज निहारा है !
अरि-मर्दन कर उसी रक्त से, माँ को तिलक चढाऊंगा!
                                          मैं सैनिक बन जाऊँगा !

                                             सत्यवती शर्मा 
     

12 comments:

  1. जोश बढ़ाती बाल कविता।

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  2. यह अभिलाषा हर मन में होनी चाहिए!

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  3. यह अभिलाषा हर मन में होनी चाहिए।

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  4. बहुत भावुक करती कविता। कम उम्र में जो अदम्य उत्साह होता है,उसी के कारण कई देशों में अध्ययन के दौरान ही सैन्य प्रशिक्षण लेना अनिवार्य किया गया है।

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  5. बाल-मन में देशभक्ति की भावना जगाती ओजपूर्ण वाणी !

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  6. देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण ओजमयी प्रस्तुति...

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  7. Replies
    1. मन में जोश भरती बहुत ही ओजपूर्ण रचना ! आपका यह प्रखर रूप बहुत ही अच्छा लगा !

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  8. ऐसी ही रचनायें पाठ्य पुस्तकों में होनी चाहिए जिससे बचपन में ही देश के प्रति प्रेम व त्याग की भावना हृदय में जाग उठे.

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  9. कविता के भाव एवं शब्द का समावेश बहुत ही प्रशंसनीय है। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।

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