मैं सैनिक बन जाऊँगा !
सेनानी वर्दी पहनूंगा, बूट करेंगे ठक-ठक-ठक !
कंधे से बन्दूक लगेगी, मुन्नी देखेगी इक टक !
मैं सैनिक बन जाऊँगा !
चुन्नू-मुन्नू तुम भी आओ, सेना एक सजायेंगे !
हिंद देश के प्रहरी हैं हम, सीमा पर डट जायेंगे !
तुम रिपु-दल की थाह लगाना, मैं बन्दूक चलाऊंगा !
मैं सैनिक बन जाऊँगा !
मुन्नी हमको तिलक करो तुम, आज जा रहे हम रण में !
दुश्मन को पीछे पटका दें, यही लालसा है मन में !
तन-मन का मैं अर्ध्य चढ़ा कर, माँ का मान बढ़ाऊंगा !
मैं सैनिक बन जाऊँगा !
हिम-मंडित यह शुभ्र हिमालय, ऊँचा भाल हमारा है !
नींच शत्रु ने मलिन आँख से, इसको आज निहारा है !
अरि-मर्दन कर उसी रक्त से, माँ को तिलक चढाऊंगा!
मैं सैनिक बन जाऊँगा !
सत्यवती शर्मा
जोश बढ़ाती बाल कविता।
ReplyDeleteयह अभिलाषा हर मन में होनी चाहिए!
ReplyDeleteयह अभिलाषा हर मन में होनी चाहिए।
ReplyDeleteबहुत भावुक करती कविता। कम उम्र में जो अदम्य उत्साह होता है,उसी के कारण कई देशों में अध्ययन के दौरान ही सैन्य प्रशिक्षण लेना अनिवार्य किया गया है।
ReplyDeleteबाल-मन में देशभक्ति की भावना जगाती ओजपूर्ण वाणी !
ReplyDeleteदेशभक्ति की भावना से परिपूर्ण ओजमयी प्रस्तुति...
ReplyDeleteBehad achhee rachana hai!
Deletewaah bahut badhiya.
ReplyDeleteमन में जोश भरती बहुत ही ओजपूर्ण रचना ! आपका यह प्रखर रूप बहुत ही अच्छा लगा !
Deleteऐसी ही रचनायें पाठ्य पुस्तकों में होनी चाहिए जिससे बचपन में ही देश के प्रति प्रेम व त्याग की भावना हृदय में जाग उठे.
ReplyDeletebahut sundar sankalan
ReplyDeleteकविता के भाव एवं शब्द का समावेश बहुत ही प्रशंसनीय है। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है। धन्यवाद।
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