साथियो बहुत दिनों से ये गीत होंठों पर था...सोचा इसी गीत को आपके समक्ष पेश करू..जानती हूँ आप सब के होंठो पर भी इस गीत के बोल मचलते होंगे....फिर भी बस एक बार फिर से गुनगुना ले...
कर चले हम फ़िदा जान-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
सांस थमती गयी, नब्ज़ जमती गयी,
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया.
कट गए सिर हमारे तो कुछ गम नहीं,
सिर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बांकपन साथियो.
जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करें
वह जवानी जो खूँ में नहाती नहीं.
आज धरती बनी है दुल्हन साथियो
राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते हो रहना नए काफिले
जीत का जश्न इस जश्न के बाद है,
जिन्दगी मौत से मिल रही है गले,
बाँध लो अपने सिर से कफ़न साथियो !
खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावण कोई
तोड़ दो हाथ गर हाथ उठने लगे,
छूने पाए न सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्ही लक्ष्मण साथियो !
कैफ़ी आज़मी
कर चले हम फ़िदा जान-तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
सांस थमती गयी, नब्ज़ जमती गयी,
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया.
कट गए सिर हमारे तो कुछ गम नहीं,
सिर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बांकपन साथियो.
जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करें
वह जवानी जो खूँ में नहाती नहीं.
आज धरती बनी है दुल्हन साथियो
राह कुर्बानियों की न वीरान हो
तुम सजाते हो रहना नए काफिले
जीत का जश्न इस जश्न के बाद है,
जिन्दगी मौत से मिल रही है गले,
बाँध लो अपने सिर से कफ़न साथियो !
खींच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाए न रावण कोई
तोड़ दो हाथ गर हाथ उठने लगे,
छूने पाए न सीता का दामन कोई
राम भी तुम, तुम्ही लक्ष्मण साथियो !
कैफ़ी आज़मी
भव्य गीत है यह..
ReplyDeleteअनामिका जी, आपको देश भक्ति के गीत विशेष रूप से प्रिय हैं, इस गीत को सुनते ही मन में कितने भाव उमड़ने लगते हैं, आभार इसे पढ़वाने के लिये.
ReplyDeleteजिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
ReplyDeleteजान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करें
वह जवानी जो खूँ में नहाती नहीं.
आज धरती बनी है दुल्हन साथियो
इस गीत की प्रेरणा ही मुझे भी INDIAN AIR FORCE में जाने के लिए बाध्य किया एव अब तक कि इस जिंदगी के सफर में जो कुछ भी पाया, शायद किसी को भी नसीब हुआ होगा या नही मैं नही कह सकता पर जिन लोगों को सैनिकों / भूतपूर्व सैनिकों के प्रति यदि संवेदनशील भावनाएं नही हैं तो हमें यह सिखाया गया है कि ईश्वर से प्राथना करो कि - " GOD, FORGET THEM FOR THEY DO NOT KNOW WHAT THEY ARE DOING." । आपका यह पोस्ट मुझे जितना प्रभावित किया उसकी प्रशंसा के लिए मेरे पास कोई "विशेषण" नही है । मैं अपली ओर से, अपनी पत्नी श्रीमती रागिनी देबी एवं पुत्र नीरज सिंह (फौज मे ) एवं दो पुत्रियों सुजाता सिंह एवं सुषमा सिंह के साथ आपके जजबात को सलाम करता हूं । धन्यलाद ।
बहुत बहुत धन्यवाद् की आप मेरे ब्लॉग पे पधारे और अपने विचारो से अवगत करवाया बस इसी तरह आते रहिये इस से मुझे उर्जा मिलती रहती है और अपनी कुछ गलतियों का बी पता चलता रहता है
ReplyDeleteदिनेश पारीक
मेरी नई रचना
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: माँ की वजह से ही है आपका वजूद: एक विधवा माँ ने अपने बेटे को बहुत मुसीबतें उठाकर पाला। दोनों एक-दूसरे को बहुत प्यार करते थे। बड़ा होने पर बेटा एक लड़की को दिल दे बैठा। लाख ...
http://vangaydinesh.blogspot.com/2012/03/blog-post_15.html?spref=bl
प्रोत्साहन की असली क़ीमत सैनिक ही जानता है।
ReplyDeleteदेशभक्ति स आप्लावित गीत के लिये आभार !
ReplyDeleteइस गीत की आंच और दहक लगती बहुत है .शुक्रिया -
ReplyDeleteकृपया यहाँ भी पधारें -
ram ram bhai
http://veerubhai1947.blogspot.in/
रविवार, 20 मई 2012
कब असरकारी सिद्ध होता है एंटी -बायटिक : ये है बोम्बे मेरी जान (तीसरा भाग ):
वीर रस एवं राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत आत्मा में रचा बसा एक सुन्दर गीत .....रफ़ी साहब के ओजस्वी स्वरों में....
ReplyDeleteआभार
.
ReplyDeleteश्रेष्ठ राष्ट्रभक्ति रचनाओं के संकलन के लिए आपका हृदय से आभार !
आता रहा हूं आपके यहां …
प्रस्तुत रचना बचपन से गुनगुनाते रहे हैं …
हक़ीक़त फिल्म भी देखी है …
आभार !
शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.......कितने खुबसूरत जज्बात डाल दिए हैं आपने..........बहुत खूब,बेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको और बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये. मधुर भाव लिये भावुक करती रचना,,,,,,
ReplyDeletebahut accha laga kaiphi jee ki rachna ko padhkar dhanyavad......anamika jee ...
ReplyDeleteसदैव दिल को छूते गीत को पढ़ कर बहुत अच्छा लगा..आभार
ReplyDeleteYeh Aisa Real Life Geet He Jo Aaj Feer 2013 Me
ReplyDeleteYaad Kiya Jaa rahaa He,
Yeh Aisa Geet He Jo Feer 2013 Me Yaad Kiya Jaa Rahaa He Un Desh Bhakto Ke Liye Jo Shahid Huye Feer Hum Jaise Logo Ke Liye....Aur Apni Bharat Maa Ke Liye
ReplyDeleteAsie Logo Ko Mera Koti Koti Pranaam
बहुत बहुत धन्यवाद्...
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