Tuesday 29 November 2011

भू को करो प्रणाम




बहुत नमन कर चुके गगन को, भू को करो प्रणाम !
                                  भाइयो, भू को करो प्रणाम !


नभ    में   बैठे    हुए    देवता    पूजा   ही   लेते   हैं,
बदले  में  निष्क्रिय  मानव  को  भाग्यवाद  देते हैं !
निर्भर करना छोड़ नियति पर,श्रम को करो सलाम!
                               साथियो, भू को करो प्रणाम !


देवालय यह भूमि कि जिसका  कण-कण चन्दन सा है,
शस्य-श्यामला वसुधा,  जिसका  पग-पग नंदन सा है !
श्रम-सीकर  बरसाओ   इस  पर,  देगी  सुफल  ललाम ,
                                       बंधुओ, देगी सुफल ललाम !


जोतो,  बोलो,  सींचो,  मेहनत  करके  इसे  निराओ ,
ईति,  भीती,  दैवी  विपदा , रोगों   से  इसे  बचाओ !
अन्य  देवता  छोड़  धरा  को  ही  पूजो  निशि-याम,
                                      किसानो, पूजो आठों याम !

                              जगदीश बाजपेयी 

10 comments:

  1. kyonki yah dharti deti hai jivan ... bahut badhiya

    ReplyDelete
  2. घरती सबका पेट भरे है..

    ReplyDelete
  3. बेहतरीन अभिवयक्ति....

    ReplyDelete
  4. एक से एक रोचक कविता इस ब्लोग पर पढ़ने को मिलती है।

    ReplyDelete
  5. बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  6. देवालय यह भूमि कि जिसका कण-कण चन्दन सा है,
    शस्य-श्यामला वसुधा, जिसका पग-पग नंदन सा है !
    श्रम-सीकर बरसाओ इस पर, देगी सुफल ललाम ,
    बंधुओ, देगी सुफल ललाम !
    बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद। ।

    ReplyDelete
  7. bilkul saty dhara hai to ham hai

    ReplyDelete
  8. बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति...

    ReplyDelete
  9. बहुत सुन्दर!

    ReplyDelete